By Malavika A
चल साथ चलते हैं
इन बगीचों के बीच से
पेड़ों के नीच से
चल साथ चलते हैं l
हम न रानी थे
तुम न शहज़ादे
हम तो शायर थे
और तुम थे दीवाने l
तेरी नज़र लगते ही
बदन का इशारा मिल जाता
आँखे मिलती,
और रूह का दामन खिल जाता l
डरना भी क्यों? गहरा है पर
इश्क़ तो शहद का झरना है
आखिर साथ कूदकर
इसमें ही तो मरना है!
डरना भी क्यों? " फिर " साथ क्यों कूदना है ????????????