रोहित जोशी
कि जब अपनों ने मुँह से मुँह मोड लिया
और रात की तन्हाइयों में, हमको अकेला छोड़ दिया।
तब तुम ही थी, जो मुड़कर आई मेरे पास
तब हल्का सा एहसास हुआ और लगा यूँ,
कि आई ऍम फॉलिंग फॉर यू!
और जब रात हसीन थी, और आँखों में नींद थी
जब आँख बन्द थी दोनों कि ,
मगर साँसे बहुत क़रीब थीं
और तब छुआ होंठों को तुमने मेरी पहली बार
तब भी हल्का सा एहसास हुआ और लगा यूँ
कि आई ऍम फॉलिंग फॉर यू!
फिर रात रात का मिलना, और दूर तक चलना,
चलती हुई ठंडी हवाओं का छू कर निकलना
और चुपचाप सी इन खामोशियों में जब
थामा सा था तुमने मेरा हाथ
तब भी हल्का सा एहसास हुआ और लगा यूँ
कि आई ऍम फॉलिंग फॉर यू!
और अब साँसे रोज़ चलती हैं, ख़ुदसे पूछा ये करती है,
है तो मेरी हीं पर, अब तुम्हारे लिये ही चलती हैं।
अब जब मेरा सब कुछ हो ही गया है तुम्हारा,
अब तोह ख़ुदसे मन मुस्कुरा कहता है कि
हाँ आई ऍम इन लव विद यू!
kamagra 100
kamagra
Prezzo Cialis 5 Mg Compresse Skimierrorma buy cialis online europe Atmorn Metronidazole Amoxicillin Toothache
hey rohit. your poem is good. want to help for being part of this poetry platform. please suggest me. waiting
अब जब मेरा सब कुछ हो ही गया है तुम्हारा,
अब तोह ख़ुदसे मन मुस्कुरा कहता है कि
हाँ आई ऍम इन लव विद यू! These lines Great work brother :)
You can check mine too here https://delhipoetryslam.com/blogs/magazine/drishaya
Let me know what you think about it. :)