Unnayan Mishra
हमें इस काबिल बना
कि उनके रंग में रंगे
हमें आखिर खुद का दीदार हो जाये
ए खुदा,
हमें इस काबिल बना
कि उनकी मुस्कराहट की तरावट सुन
हम अपने दिल को इस कदर फरार होने से रोक पाएं
ए खुदा,
हमें इस काबिल बना
की उनके साथ बिताया हर पल
जब जियें तोह गुलाब और जब जी चुके
तोह उनके काटें न बन जाएं
ए खुदा,
हमें इस काबिल बना
कि उनकी वाणी का हर एक लव्ज़ सुन
कोयल भी बेसुरी न लगने लग जाये
उनकी ज़ुल्फें या हो घटाएं
अब हमें फ़र्क करना मुनासिब नहीं
उनकी नज़रें या हों मोती
अब हमें फ़र्क करना मुनासिब नहीं
उनकी हसीं या हो हमारी धड़कन
पूरे इल्म को अब फ़र्क करना मुनासिब नहीं
इस वैरागी को यदि स्वर्ग का मार्ग दिखाओ
तोह वह हंस कर उनकी ओर चल देगा
इस प्यासे को दरिया कि लपटों में जा फेको
तोह वह तूफ़ान को झटक उनके होटों कि ओर तैर पड़ेगा
ए खुदा,
इस तपड़ते हुए दिल को सुकून मिले तोह माँगा एक फरिश्ता
इस काफ़िर को क्या खबर
कि तू उनका चेहरा पहन खुद ही हमसे इश्क़ करने उतर पड़ेगा
ए खुदा,
तू खुद को इतना काबिल बना
कि उनकी आर्ज़ू में
हम दीवाने तुझे ही न भूल जाएं
हम दीवाने तुझे ही न भूल जाएं……
खुद की आर्ज़ू भुलाकर हम कहीं तेरे ही दीवाने न बन जाऐ ?
I knew there will come a suspense type of thing in the end,
ए खुदा,
तू खुद को इतना काबिल बना
कि उनकी आर्ज़ू में
हम दीवाने तुझे ही न भूल जाएं
Brother these last 4 lines are truly incredible, you got yourself a fan,
If I can follow you on Facebook, let me know here is my profile https://www.facebook.com/anirudh.krishna.33
And I wrote one too here https://delhipoetryslam.com/blogs/magazine/drishaya
Let me know what you think about it. :)