फ़ैज़ान महमूद 'हुसैन' लखनवी
ख़ुद धूप में खड़ा रह कर जो तुम्हे छत देता है
तेरे नाम को नाम देकर भी बेनाम सा रहता है
कभी शक ना करना उसकी मेहनत-कशी पर
तेरी हर ज़िद को वो बे-लौस सा पूरा करता है
ऐसी शख्सियत को बयां घर नहीं ज़हाँ करेगा
जो ज़्यादा ज़िंदगी घर से बाहर गुज़र करता है
रौशनी की ज़रूरत उसे भी है शाम ढल जाने पे
जुगनू के मानिंद अपनी औलाद को समझता है
क्यूँ औलाद छोड़ देते हैं साथ आख़िरी वक़्त में
यह इंसां मरने के बाद अपना नशेमन छोड़ता है
रहेगा मलाल 'हुसैन' को ज़िंदगी भर इस बात का
औलाद अपने बाप का हक़ अदा न कर पाता है
Good
Nice. Well said…
Absolutely true
Fact!!
Absolute True…..
Nice and true