By Ambuj Pandey
जब कभी कोई ऐसा गुनाह हो जाये,
जब खुद से नफरत बेपनाह हो जाये,
जब रात का अंधेरा सफेद नूर हो,
जब दिन की रोशनी स्याह बेनूर होे,
जब जिंदगी के हर एक पल में मलाल हो,
जब हों जवाब पर न कोई सवाल हो,
जब दूर किसी से तुम यूँ भाग रहे हो,
जब बंद आंखों से भी तुम जाग रहे हो,
जब हालात पर कोई ज़ोर न चले,
जब तन्हा हो साथ कोई और न चले,
जब तुमने किसी की तकलीफ बुनी हो,
फिर अपने अंदर की तुमने चीख सुनी हो,
जब किसी से बहुत दूर हो गए हो,
जब एहसास-ए-ख़ता में चूर हो गए हो,
जब कोशिश करो पर स्वीकार न सको,
जब रिश्तों का कर्ज तुम उतार न सको,
जब हर एक पल खुद पर लगा बोझ हो,
जब तुमको किसी सुकून की खोज हो,
जब तुम को खुदी से हो सारे गिले,
जब मसला-ए-हल भी कहीं न मिले,20
जब राहें सभी उसी की ओर जाएं,
की हम जिससे नजरें मिला भी न पाएं,
तो ज़िद छोड़ दिल सुन मलाल त्याग कर,
जकड़ के उसको उसकी तरफ भागकर,
गलतियां, झूठ, सच सभी कुछ साफ कर दो,
बस चार शब्द कहो, "मुझे माफ़ कर दो"।
Very beautiful lines dear…keep it up 👍😊
Bahut achi rachana hain aapki , aisey hi aagey badte rahe.. aur match jeetwa ke hi aaye 🤣
Beautiful!
Its true ….jindagi ki hakikat ko yu bayan karna…tarife kabil hai…nice poetry….
Kya bat hai bhai ji… lajavab 👌👌👌
अद्भुत रचना भाई, ऐसे ही आगे बढ़ते रहो, ईश्वर तुम्हें बुलंदियों तक लेे जाए😃😄😄
अद्भुत एवं बेहतरीन कविता अम्बुज
ऐसे ही लिखते रहो, आगे बढ़ते रहो
It’s better to say sorry instead of having guilt inside uhh😌
Lovely 🤗
Splendid👌
👏👏
Beautiful.❤️
Beautiful 👌