बेवक्त कुछ था और बेवक्त कुछ नहीं भी
झसी ऐहसास के साथ वो कहीं जुदा हो गई
बचपन की याद वक्त के साथ साथ औंर भी गहरी हो गई
जिन आखों ने बचपन मे बड़े होने का ख्वाब देखा था
वो आज फिर बचपन को जीने का ख्वाब देखने लगी
आज भी याद करूं बचपन अपना तो बहुत कुछ याद आता हैं
जरा जरा सी बात पे रो देना औंर फिर रोता हुआ देख
चुप कराने का वो एहसास अब भी याद आता हैं
अपनों का हर कदम पे हमें संभालना
आज भी गिरने के बाद आख भर जाती हैं
रातों मे वो एक सुकून की नींद आज भी हमें चांद तारें देख सोने को कह जाती हैं
जिंदगी के खेले गए खेल में कुछ यू ऊल्झ से गए हैं
हम आज भी बचपन मे खेल खेल मे सीखा गया हर वो एक सबक याद करते हैं
मासूम थे वो पल तभी आज भी हमें उन मासूम चेहरों की याद दिला जाता हैं
जीद मे हासिल की हुई चीजें आज मंजिलों को पाने की जीद करना सीखा जाता हैं
रूठो को मनाना औंर फिर बदले में खुद ही रूठ जाना
तरह तरह के कीस्से ....
मुझे फिर वापस बचपन में है जा कर सुनाना
वक्त रेहते जो बदल न सके हम
आज वक्त बदलने के बाद अपनी याद दिलाता है
बचपन ही था वो मेरा दोस्तों
जो रेह रेह कर अपनी एक प्यारी याद दिलाता है
Wow amazing 😊
Thanku Soo much guys for your lovely comments and support. Really means a lot.
Keep supporting and motivating me…
Bruh keep rocking the same
Nicely written.
Well done…👍
Tera roop jaise kali ho gulab ki
Tere lafz jaise baansuri ho shyam ki🥳
Well written jyoti😍 keep it up
Nicely written
बचपन की यादें हैं जो ताज़ा हैं,
कल जो हुआ मैं भूल गया।
इस अफारा-तफरी का दावा है
बड़ा हुआ मै जो एक भूल हुआ।
:- roohdaar
Bahut bahut shubhkamnaye
Well done Jyoti ❣️
Bachpan ki yaadein tazaa ho gayi ❤✨ Beautifully written Jo 😇
Yaad dila thi bachpan ki Jyoti, Nostalgic!!
Keep going 😘 i just love your poetry.. It has the capability to touch people’s heart. Reminded me of my childhood.
Reminds me the good old days of my childhood.