By Amresh Tiwari
लो आज आ गयी फिर वो शाम
कल सुबह है जाना नानी अम्मा के धाम
हर वर्ष रहे इन दिनों की जाप
दिन भर रहे सूर्य की प्रचंड ताप
जब घर से वहां हूँ जाता
दिखता सृष्टि का पावन नाता
नानी की अनूठी बाते
पलक झपकते बस बीतती राते
हर चीज़ में दिखती शुद्धता की वाणी
भोजन संग मिलता शुद्ध पानी
आम लीची सब कितने रसीले
नंगे पाव भी न चुभती कीले
भोजन में मिलता पकवान
कोई किसी का न करे अपमान
पेड़ो की डाली के वो झूले
जीवन भर न कोई भूले
लो आज आ गयी फिर वो शाम
कल सुबह जाना है मुझे नानी अम्मा के धाम
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This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'Travelling'