By Akash Yadav
यू तो मेरी जिंदगी में मौज थी
कोई इतना बड़ा गम नहीं था ,
बस इसलिए क्यूंकि साथ में
कुछ कमीनो की फ़ौज थी !
चल पड़ा था इन्ही को साथ लेके
बड़ी सी बड़ी कामयाबी पाने
इस ज़माने को दोस्ती का
असली मतलब समझाने !
पर मेरी यही ताकत मेरी भूल थी ,
जिस दीवार पे टेका लिया खड़ा था
वो दीवार नहीं पूरी धूल थी !
मुझे इस बात की बिल्कुल भनक नहीं थी
चला हू जिनके साथ इमारत खड़ी करने
मुझे लगा....
इन्हे किसी चीज़ की "धनक" नहीं थी !
मेरी कामयाबी में उन सभी का नाम था
पर उनके लिए मै कोई न कोई "काम" था !
लगा इन्ही को साथ लेकर बढ़ना है ,
पर मै उन हंसी को भांप ना सका
जो साफ कह रही थी
"अंत मे तुझे हम ही से लड़ना है "
आज खुशिया लौट चुकी है ,
इमारत खड़ी है ,
पर शायद ये इमारत बनने से पहले ही
टूट चुकी है !
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This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'An Experience That Changed My Life'
Itna accha kaise likh lete ho!??
Lovely poem🤩 but don’t lose urself and ur dignity thinking too much about others..😌
Wonderful poem…. proud of you 😇
Thanks a lot ❤️❤️
Beautiful😍💓