दोस्त थे!! – Delhi Poetry Slam

दोस्त थे!!

यू तो मेरी जिंदगी में मौज थी  
कोई इतना बड़ा गम नहीं  था ,
बस इसलिए क्यूंकि साथ में 
कुछ कमीनो की फ़ौज थी !
चल पड़ा था इन्ही को साथ लेके 
बड़ी सी बड़ी कामयाबी पाने 
इस ज़माने को दोस्ती का 
असली मतलब समझाने !
पर मेरी यही ताकत मेरी भूल थी ,
जिस दीवार पे टेका लिया खड़ा था  
वो दीवार नहीं पूरी धूल थी ! 
मुझे इस बात की बिल्कुल भनक नहीं थी  
चला हू जिनके साथ इमारत खड़ी करने  
मुझे लगा.... 
इन्हे किसी चीज़ की "धनक" नहीं थी ! 
मेरी कामयाबी  में उन सभी का नाम था  
पर उनके  लिए मै कोई न कोई "काम" था ! 
लगा इन्ही को साथ लेकर बढ़ना है , 
पर मै उन हंसी को भांप ना सका  
जो साफ कह रही थी  
"अंत मे तुझे हम ही  से लड़ना है " 
 आज खुशिया लौट चुकी है , 
इमारत खड़ी है , 
पर शायद ये इमारत बनने से पहले ही  
टूट चुकी है !   
-------------------------------------------------------------------------------------------
This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'An Experience That Changed My Life'

5 comments

  • Itna accha kaise likh lete ho!??

    Priyanka Gill
  • Lovely poem🤩 but don’t lose urself and ur dignity thinking too much about others..😌

    Keerat
  • Wonderful poem…. proud of you 😇

    Jyoti bhati
  • Thanks a lot ❤️❤️

    Akash yadav
  • Beautiful😍💓

    Navneet

Leave a comment

Please note, comments must be approved before they are published