सितारों की जहां बातों से सजी थी

BY MANAV SINHA

सितारों की जहां बातों से सजी थी,
उम्मीदों की भाषा आसमानों पे लिखी थी।
दिलों में फ़रियाद बातों की उलझने थी,
धड़कनों की समुंदर अँधेरों की चाँदनी थी
चारों तरफ थी रोशनी,
लेकिन मेरी नजरें किसी की ओर अड़ी थी;
सितारों की जहां बातों से सजी थी।
सपनों का एक मंज़र था,
जब नींद खुली तो सूरज ढल चुका था।
अकेला उस वक्त रो रहा था,
पास अब कोई रहा नहीं।
साथ अब कोई देता नहीं,
उलझनें भी थी बहुत सारी;
सितारों की जहां बातों से सजी थी।
रातें भी कटती सितारें देखते,
सोचते-सोचते यादों को निहारतें।
जीवन की ओर बढ़ता,
रातों का पहर था।
अकेला मैं होंगे पूरा,
लेके करवटें सोचते गुजारा।
काश आए ऐसी घड़ी,
सितारों की जहां बातों से सजी थी।


2 comments

  • Fantastic Poem and give me a practical vibe…❤️❤️♥️♥️

    Vansh raj
  • Best poem in hindi language and it is also very heart touching and easy to connect with soul..

    Sandip Sinha

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