मेरी तन्हाई

शालू चौरसिया

पहेली,
ये आसमान, ये तारें,
और उनके वो सारे वादे, 
उलझन,
यादों की, मुलाकातों की, 
दबे पाँव बीती हुई रातों की, 
कशमकश, 
की हम रोए या मुस्कुराये, 
गम में दूब जाए या सब कुछ भूल जाए? 
तन्हाई, 
ऐसी कि, 
दिल के धड़कने का एहसास तक नहीं होता अब। 
पहेली है, उलझन है, कशमकश है, 
और ये तन्हाई। 
बातें,
जो वो करते थे, 
हमने उन्हीं लफ्जों की सियाही से खत सजाया है,
हमारे आसमान में चांद नहीं आया उस रोज़ से, 
जबसे उन्होंने हमारे रूह को ठुकराया है। 
पहेली है, उलझन है, कशमकश है, 
और ये तन्हाई। 
उनकी रूह से मोहब्बत की थी,
उनकी याद को तवज्जो दी थी, 
दिल लगाया था हमने, 
अपने दिल से बगावत की थी। 
अपने दिल से रंजिश कर बैठे थे, 
पर उनकी रूहानीयत की बात क्या बताएं आपको, 
आज भी याद करते हैं तो, 
चेहरे पर नूर आ जाता है। 
पहेली है, उलझन है, कशमकश है, 
और ये तन्हाई। 
आफरिन अब इस हर हर्फ में उनका शोर होगा, 
इन कागजों पे अब मयस्सर हर ख्वाब होगा, 
कुरबत में उनके रहना था, 
पर अब सिरहाने उनके खोए हुए लफ्जों का जलता हुआ शबाब होगा। 
और
साथ होगी, 
मेरी तन्हाई। 

2 comments

  • My favorite poem on the topic loneliness. Best lines, really touched my soul: कशमकश,
    की हम रोए या मुस्कुराये,
    गम में दूब जाए या सब कुछ भूल जाए?

    Saumya
  • Very well written

    Anonymous singer

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