फलक

By Tamanna Bangar

इतना बड़ा आसमां है
आकाश सुना है
धरती पर पड़ा सब समान है
हाथों में तितली नहीं आती
बहुत बेमन है
आज़ाद पंछी देखता हूँ तो
जैसे सारी दुनिया गुमनाम है
धरती के समान से
मैं चीज़ नहीं बताता
लोगों के दिलों का बोझ देखकर
मन बहुत हेरान है
की गुज़रते हुए पल
आँखें नम कर देते हैं
जैसे आंसुओं की कीमत बहुत आसान है

यादें सिमटकर रह गई हैं दिलों में
क्योंकि शायद खुदा की मर्जी का यही फरमान है
यह हवा माने समुद्र की तरह बहती है
के तिनका जैसे नमक के सामान है

कानो में खुस पूस
अब बिल्कुल शांत है
सवेरा अभी तो हुआ था
कि अब कैसे फिर से शाम है

यह दुनिया माने पुरानी है
पर इसका रुख है
मानो मेरा नाम है|


1 comment

  • Awesome 🤩🤩 she deserves to be selected as top 3 poets 🫶🏻

    Prabhjeet Kaur

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