Sharab ka toh ilm nhi – Delhi Poetry Slam

Sharab ka toh ilm nhi

By Aanshi Garg 

 

शराब का तो इल्म नहीं
शराबियों से रूबरू होता हूं
वो झूमते है मेरे सामने
मैं बिन पिए उनके लिए रोता हूं

वो भाग रहे है सच्चाई से
उनके नशे काफ़ी रंगीन है
ये जीवन मेरा नशा है
इसकी चुनौतियां खूब हसीन हैं

आज आइना है मेरे सामने
खुदसे नज़रे मिला पाता हूं
वो खोए हुए है चलचित्र के अभिनेता को देखने में
मैं खुद किरदार निभाता हूं

शराब का तो इल्म नहीं
शराबियों से रूबरू होजाता हूं

उतनी छोटी भी नही है कामयाबी मेरी
जो सिर्फ चार ग्लास टकराने से जश्न पूरा हो जाए
और प्रशंसा किसकी की थी
ये सूरज निकलने तक सब भूल जाएं

हर घूंट में ख्वाब दिखाया
फिर अपनी उसी तलब में भटकाया

तुम ही बताओ
कैसे झोंक दू कमाई इन 30-30ml की खुशियों में ?
जब किसी का गम ना मिट पाया
रात भर भी पूरी पूरी बोतलों में

मेरी मानो
एक बार बाट के देखो वो सारी परेशानियां
किसी मित्र या अनजान के साथ
और दोस्त बता डालो उसे अपने सारे हालात
इतना तो यकीन है मुझे
फिर न पहुंचाएंगी वो तुम्हें कभी आघात

हाँ सच है ये
जब लोगों को इससे मुक्त होते देखता हूं
उस दिन मैं भी एक महफ़िल रख लेता हूं
अब शराब का तो इल्म नहीं
मैं ढक्कन खोल ,पानी गट गट पी लेता हूं


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