BY SAKSHEE SHRIVASTAVA
कि कर लोगे तुम हासिल जो सोचा था तुमने, अगर नहीं भी कर पाए तो क्या हुआ।
कि वो घंटो की मेहनत कभी बर्बाद नहीं जाति, अगर चली भी गई तो क्या हुआ।
जिंदगी की हर एक ठोकर हमें कुछ सिखा कर जाती है, अगर तुम एक बार में समझ नहीं पाए तो क्या हुआ।
क्यूंकि सही तरीके से जिंदगी जीना तो किसी को भी नहीं आया ना
किसी के हिसाब से मेहनत करना सही है, तो किसी के लिए जिंदगी खुलकर जीना सही है।
यदि तुमको अभी कुछ समझ नहीं आया तो क्या हुआ।
सोसायटी कहेगी आगे बढो पच्चीस पे नौकरी और अट्ठाईस में शादी करो।
अगर तुम नहीं भी कर पाए तो क्या हुआ।
कभी सोचा है तुमने कि हमें पहाड़ इतने क्यूं पसंद है?
क्यूंकि वो अपने हिसाब से अपनी उचाई तह कर पाते है।
सुना है किसी को कहते हुए कि ये और ऊंचा होता तो अच्छा होता?
अरे समंदर भी ख़ूबसूरत लगता है क्योंकि उसकी सारी लहरें अलग होती हैं।
तो अगर आज का दिन मुकम्मल ना भी कर पाए तो क्या हुआ।
कल फिर कोशिश करेंगे, बशरते जिंदगी को अपने हिसाब से जिएंगे
क्योंकि सही तरीका सिखाने वाले तो बहुत होंगे, पर अपनी शरतो पर जिंदगी जीने वाले चंद मिलेंगे।
Very nice👍🏻☺️☺️