आख़िरी निशानी

BY GAUTAM PARMAR

रुक ना जरा... झुमके लेती जा !!

मेरी ग़ैरमोजुदगी सताएगी नहीं तुझे, मेरा फ़र्ज़ मेरे दिए झुमके निभाएँगे,

कभी - कभी तेरी ज़ुल्फ़ों में अटकेंगे कभी गर्दन से होते हुए गाल चूम जाएँगे...!!

मेरी आँखो में आँसुओ से ज़्यादा दुआ है तेरे लिए, दुआएं सारी चूमके लेती जा!
आख़िरी निशानी भी तो होती है ना हर एक इश्क़ की ...

रुक ना ज़रा... झुमके लेती जा !!


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