कहते हैं "I am Indian."

By Kanika Jain

"भारत, इंडिया, हिन्दुस्तान,
कितने नाम और एक पहचान |
वो पहचान जिससे बनते हैं हम,
कोई पूछे तो गर्व से कहते हैं..""I am Indian."" |

जहां मुट्ठी भर नमक से गाँधी ने किया अहंकार का दमन,
जिसके सुभाष, भगत ने चूर किया गोरो का घमंड |
जिस सोने की चिड़िया को लूटा था बेगानो ने जी भर,
जो फिर से उड़ने को त्यार पसारे अपने पर |

जिसके जवानो का युद्ध में कभी झुकता नहीं सर,
जिसके सपूत सजा दे चंद्रयान से अम्बर |
जिसकी बेटियां जीत लाये हर स्पर्धा,
जिसके किसानो ने विश्व की भूक को है हरा |

जिसके माथे पर हैं हिमालय के बल,
जिसकी बाहों में खेले गंगा नर्मदा का कल |
जिसकी धरती भी उगलती है हीरे, मोती और सोना,
जिसको लगता है गले समंदर खोले अपना सीना |

जहां पत्थर में भगवान् भी हैं मिलते,
जहां गुरबाणी में अल्लाह के लफ्ज़ हैं खिलते |
जहां राष्ट्र को भी कहा जाता है ""भारत माता"",
जहां हमने ऋषि-मुनियों के ज्ञान को तराशा |

जहां राह मुड़ते बदल जाती है भाषा,
जहां दिन ढलता है पर सोती नहीं आशा |
जहां इतने अलग हो कर भी साथ हैं हम,
जहां लड़ते हैं एक दूजे से, पर एकजुट खड़े हैं हम |

जहां हैं थोड़ी तकलीफें और थोड़े से गम,
जहां फिर भी ""अतिथि देवो भवः"" से करते हैं अभिनन्दन |
जब बजती है स्टेडियम में ""Indiaaaa...India"" की सरगम,
कोई पूछे तो गर्व से कहते हैं..""I am Indian."" |

- कनिका जैन"


Leave a comment