Log Kya Kahenge

By Mansi Meena

 

मैने इश्क़ किया हैइंसान से ही

मज़हब ही तो अलग है,

पर बहतर होगा दूरियाँ बना लो;

लोग क्या कहेंगे,

 

मेरे वालिद को मेरा ज़्यादा देर घर से बाहर रहना गँवारा नहीं है

तो क्या हुआ अगर मैं दफ़्तर में हूँ या शबाब के नशे में

पर घर जल्दी  जाना

लोग क्या कहेंगे

 

मेरे ज़ोर ज़ोर से हँसने पर मेरी ख़ाला मुझे डाँट देती है,

तो क्या हुआ मैं ख़ुश हूँ या बेशर्म,

ज़्यादा हँसो मत

लोग क्या कहेंगे

 

मेरी अम्मी मुझे ये क़मीज़ पहनने नहीं देती

तो क्या हुआ अगर मुझे आज़ादी महसूस होती है या बेशर्मी

अपने जिस्म को ढक लो

लोग क्या कहेंगे

 

जब इन बंदिशों के तले मेरा दम घुट जाएगा,

तब भी क्या लोग कुछ कहेंगे

तो क्या हुआ अगर मैं ये ग़ुलामी सह ना पाई या हार गई

 पर तुम मरना मत

क्योंकि लोग क्या कहेंगे

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This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'What will people say / Log kya kahenge'

4 comments

  • Awsm so beautiful

    Nandita chhabra
  • 👌👍

    👍👌👌
  • What a brilliant piece. So proud of you Mansi.

    Shubham Jain
  • And my bae nailing it❤

    Harshita

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