प्रेरिका गुप्ता
अक्सर डरते हैं सब, अकेले रह जाने से,
पर सच कहूँ तो अकेलापन इतना बुरा भी नहीं।
माना सफ़र आसान हो जाता है,
अगर हो कोई हमसफ़र कदम से कदम मिलाने के लिये,
पर अकेले चल अपने छोटे छोटे क़दमों से बड़ी बड़ी सड़के नापना
इतना बुरा भी नहीं।
माना फ़ीकी चाय भी स्वाद लगने लगती है,
अगर बैठा हो कोई मेज़ के उस पार,
पर कभी कभी अकेले बैठ प्याले से निकलते हुए धुंए में खुद को खोजना
इतना बुरा भी नहीं।
माना शोर में खुल के चिल्लाने से
चीखें सुनाई नहीं देती,
पर कभी किसी कोने में दुबक के अपने आसुंओं को बेबाक रिहा कर देना
इतना बुरा भी नहीं।
माना कोई हमसे प्यार करता है,
इस भावना से ही जीने की वजह मिल जाती है,
पर कभी कभी दूसरों को नज़रंदाज़ कर, ख़ुद को ख़ुद से गले लगाना,
इतना बुरा भी नहीं।
सच कहूँ तो कभी-कभी सिर्फ अकेलापन ही चाहिये होता है,
खुद को समझने के लिये, दूसरों को समझने के लिये,
अपने बिखरे हुए अंशों से एक तस्वीर बनाने के लिये,
ये देखने के लिये कि जब सूरज की किरणे आपको रंगीन करती है ना,
तो आप बेहद ही खूबसूरत लगते हैं।
ये समझने के लिए चाहे जितने लोग भी आपके साथ क्यों न चल लें,
कुछ सफ़र आपको अकेले ही तय करने होते हैं।
सच कहूं तो अकेलापन उतना ही खूबसूरत है,
जितना किसी के साथ होना।
उतना ही पाक जितना मंदिर में जल रहा अकेला दिया।
उतना ही सुकून देने वाला जितना माँ का आँचल।
सच कहूँ इतना बुरा भी नहीं अकेले हो जाना।
This is an amazing words to bind the loneliness in optimistic way. 🥰
आपकी लिखी रचना “पांच लिंकों का आनन्द में” शनिवार 22 मई 2021 को लिंक की जाएगी ….
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा … धन्यवाद! !
Akele hi jb kanhi door nikl jate aur kuch kevl apne hi krte …apane aap ko smjhte,time dete ya kuch time sirf aur sirf khud ke liye spend krte uske bad ek alg sa hi sukoon milta h…akelepan wo swad hi kuch anokha hota h ji😇
ज़िन्दगी को सभी जीना चाहते मगर कोई साथ नहीं
अकेलापन से डरते है सब..पर इतना भी बुरा नही…बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।बहुत अच्छा लगा पढ़कर।
उत्तम
बहुत ही सही बात कही आपने दी! अकेलापन इतना बुरा भी नहीं :-)
आगे और भी कविताएं पढ़ना चाहूँगी आपकी।
बेहद खूबसूरत लिखा है आपने प्रेरिका :)
Akhil, what kind of questions? Would love to know.
This filled me with unknown questions I didn’t know exist