By Seekers
क्या मैं सही हूँ या हूँ ग़लत,
ये तो बतायेगा वक़्त ही I
कोई भी क़दम उठाने से लगता है अब डर,
आख़िर खा चुका हूँ कई ठोकर I
कल्पना में जीये या यथार्थ में जीये,
कैसे करूँ मैं निर्णय मैं इसका I
यथार्थ को देखू़ं तो नहीं कर सकता कुछ भी,
कल्पना में जीऊँ तो नही है पक्का भरोसा I
ऐसी परिस्थिति में करूँ मैं क्या आख़िर,
रूक कर रह गया मैं आख़िर I
ना मैं कमज़ोर हूँ न डरने वाला,
मगर वक़्त के आगे हूँ मजबूर मैं I
नहीं हाथ मैं है कुछ मेरे,
जो भी है मेरे पास वो हूँ मैं ख़ुद I
लेकिन सिर्फ़ मुझसे नहीं चलेगा कुछ काम,
चाहिए और कुछ भी ज़िन्दगी के लिए I
मन तो करता है कुछ कर गुज़रने का,
मगर जब देखता हूँ मैं अतीत I
तो बस नहीं करता मन कुछ करने का,
पुरानी असफलता रोकती है कुछ नया करने को I
कि कहीं दुबारा न हो ऐसा,
वो तो वक़्त था मैं झेल गया
मगर अब नहीं झेल पाऊँगा मैं,
क्योंकि बदल चुका है वक़्त,
और बदल गये है हालात I
तो फिर आख़िर करूँ क्या मैं,
क्या बैठा रहूँ यूँ ही रखे हाथ पर हाथ I
ऐसे आख़िर कब तक चलेगा,
कोई ऐसा वक़्त भी तो नहीं निश्चित I
तो फिर कैसे होगा कुछ,
कब तक रूकूगा ऐसे मैं I
कब तक करूँगा वक़्त का मैं इंतज़ार,
हद हो गई अब इंतज़ार की भी I
टूटने लगा है बाँध धैर्य का भी,
कयोिक है सर पर कई ज़िम्मेदारियाँ I
ऐसे हालात में तो नहीं कर पाऊँगा कुछ भी,
बदलना पड़ेगा मुझे हालात को
रोकना पड़ेगा इस इंतज़ार को I
वक़्त आ गया है कुछ करने का
नहीं है वक़्त इंतज़ार करने का II
Owssm bhai
Good
Bahut Khubb. Kya baat hai. Ye hunar toh mujhe pata na tha..
Gajab…..
Nice
Mst bhai..
वाह क्या बात है, दिल को छू लिया ।
wow great yar vry vry nice poem vai
Very nice line bhai
दिल के जज़बात को बयां करना कोई आपसे सीखें….
आपने बता दिया कि ऐसे हालात में हम क्या लिखें….
जिस वक्त से आप गुजर रहे हो अनुज भाई…
उस वक़्त का शिकार हुए हमारे हौसले पड़ गए फिकें…
nice poem bhai
Good
Nice poem
Good one.
very nice line bhai heart touching line
Wah kya khoob likhte ho,,,bahut ache lagte ho??,,,Mast poem,,,,
Good
Nice
Gajab
Superb
Heart touching lines . Nice poems
Good poem