वो राजदार

By Kajal Mehtani
वो राजदार है मेरे तमाम
आंसुओं की
इकलौती दोस्त है मेरे तकिए की....जिसे मालूम है
मेरे रोने के सबब
मेरे हंसने की वजह
मेरे जीने की तलब
मेरे मरने का सबब
वो जानती है मेरी आंखों के सवाल
और तुम्हारे सारे झूठे जवाब
तुम्हारी बातों के अजाब 
अजाब से हैरान
परेशान मेरे भीतर का बच्चा
सारे अगर मगर काश
मैं जिंदा हूं मगर कब से मर गई हूं,ये राज जानती है
हर  बात जानती है
मेरी डायरी ही इकलौती गवाह है मेरे कत्ल की
मेरे कातिल का नाम जानती है.....

4 comments

  • Beautifully expressed 💛

    Ekta
  • Amazingly written. 😍

    Varsha Mishra
  • It just touched my heart.

    Vageshwari Nandini
  • So wonderfully penned ❤️

    Mahima Agrawal

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