Apoorva Chandrachur
धीरे धीरे उसे चूमना इस शोर में
अभी उसके सिवा कुछ सुनाई ना दे।
जिस्म को जिस्म का आशना बनना है
अभी ख़ुर्शीद रोक, रोशनायी ना दे।
समेट् के सँवारूँ उसे अपनी बाँहों में
होंठों को होंठों पे, अभी जुदाई ना दे।
थोड़ा गोर कर लू उसके सुलगते बदन पे
अभी कोई ओर नायाब शाई ना दे।
बस खुदा वो हो ओर उसकी जिस्म
उसके हुस्न के आगे कुछ दिखाई ना दे॥
Husan ki ada bewajah nhi
beautiful ❤️😭
शानदार
जिस्म-ए-रूमानी अंदाज सबने देखे थे
खोलकर जब वह अपना दिल आयी।।
बहुत शानदार कविता। मेरे पेज पर भी पधारिये। आपके सहयोग की जरूरत है।
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Thank you, Tanuj. ?
Thank you, Soorya. ?
Beautiful and passionate :’)
So beautiful?
Thank you, Areeb.
Yashita, thank you.?
Shrreya, thank you so much.❤️
Thank you, Drishti.❤️
Amazing
Girl you rock ♥️
This is so good :") ❤️
This is beautiful <3
May you reach new heights!!
@Tavleen Thank you.❤️❤️❤️❤️❤️❤️
@Armaan thank you so much. ?
You are pure magic ❤
Your language is so pure and exquisite.
“बस खुदा वो हो ओर उसकी जिस्म
उसके हुस्न के आगे कुछ दिखाई ना दे” This takes me to a whole new world.