वो एक अच्छी इंसान थी ,सबकी मदद करती थी, समझदार और संस्कारी भी थी,
पर जब सबको पता चला कि वो अपने पसंद से किसी दूसरे धर्म के लड़के से शादी कर ली तब वो लोगो के नज़र में हो गई गलत ;
वह आगे और पढ़ना चाहती थी,
पर अपना आगे पढ़ने का सपना पूरा नहीं कर पाई क्यूंकि दूसरे लोंगो के कहने पे उसके पिता ने उसकी तुरंत शादी करवा दी,
क्या यही है उसकी किस्मत ?
वह घर और काम दोनो संभालती थी,
पर उसका दफ्फ्तर से देर रात में घर आने पे लोग उसका चरित्र पर सवाल उठाने लगे,
क्या यही है उसकी फितरत ?
इन सभी लड़कियों मैं कोई कमी नहीं है, यह है समाज की दिक्कत.
आज कभी भी कोई कुछ करने से पहले अपने खुदकी मन की नहीं सुनता बस यही सोचता है की क्या कहेंगे लोग,
एक लड़की जो कुछ नया या कुछ अलग करना चाहती है वह हमेशा यही सोचती कि क्या कहेंगे लोग?
कोई भी असफल हुआ तो खुदको सुधारने के जगह यही सोचता कि लोग क्या कहेंगे?
कभी कोई यह क्यू नई सोचता कि जीवन इसी डर से क्यों जीएंगे ?
क्यों लोगों की बेवजह बातो को सुनेंगे
क्यों उन लोगों के डर से खुल कर जीना छोड़ देंगे ?
क्यों उन लोंगो के बातो के दर से सपना देखना छोड़ देंगे?
हमे जीवन अपने समझ और अपने हिसाब से जीनी चाहियें, यह नई सोच कर की क्या कहेंगे लोग,
क्यूंकि आज के समाज में सबसे बढ़ा रोग यही है की क्या कहेंगे लोग ?
-------------------------------------------------------------------------------------------
This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'What will people say / Log kya kahenge'
Good message we should live life on our own terms. Good work.