By Sweta Jain
_swetajain_
भूल चुकी हूं जिंदगी के उन सभी लम्हों को,
जो कभी मेरे आंसूओं का कारण थे,
जो कभी मुझे रात में सोने नही देते थे,
जो कभी मुझे ज़िन्दगी को प्यार नहीं करने देते थे,
जो कभी मुझे हारे हुए खिलाड़ी सा महसूस करवाते थे,
और जो मेरे दिल और दिमाग को अस्त व्यस्त करते थे।
अपने अतीत को भूलकर,
आगे बढ़ने कि शक्ति को,
जिंदगी में कुछ कर गुजरने के जज्बे को,
दूसरों को दिल से माफ़ करने को,
भगवान का वरदान समझू,
या आत्मा की शक्ति,
ये तो मुझे नहीं मालूम।
लेकिन इतना जरूर मालूम है कि,
ज़िन्दगी की उन कड़वी यादों को भूलना,
मेरे लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है,
मेरे लिए कोई सुपरपावर से कम नहीं है।
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This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'My Superpower'